संत निरंकारी मिशन की विचारधारा का मूल आधार 'सम्पूर्ण अवतार बाणी' है। निरंकारी बाबा अवतार सिंह जी के नाम पर रचित इस पुस्तक का पहले शीर्षक 'अवतार बाणी' था, जो 1957 में प्रकाशित किया गया था। हालांकि, इसका विस्तृत संस्करण 1965 में 'सम्पूर्ण अवतार बाणी' के नाम से प्रकाशित किया गया था। साधारण पंजाबी कविता में लिखी गई इस पुस्तक में कुछ शेरों को उर्दू और सिंधी में लिखा गया है, जो मिशन के संदेश को समझाती हैं। यह किताब किसी भी धार्मिक पुस्तक की तरह पूज्य नहीं होती है, लेकिन हर निरंकारी उसे अपनी विश्वसनीयता के लिए मूल्यांकन करता है। 'सम्पूर्ण अवतार बाणी' को गुरुमुखी, देवनागरी, उर्दू और रोमन लिपि में प्रकाशित किया गया है। इसे अंग्रेजी (प्रोज) और हिंदी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, नेपाली, मराठी, गढ़वाली, हरयाणवी, सिंधी और तेलुगु (सभी कविताएँ) में भी अनुवादित और प्रकाशित किया गया है।
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